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छात्र वीजा पर रूस गए पंजाब के मोगा के युवक को सेना में जबरन भर्ती कराया, युद्धक्षेत्र में धकेल दिया; परिवार ने केंद्र से मांगी मदद

 



छात्र वीजा पर रूस गए पंजाब के मोगा के युवक को सेना में जबरन भर्ती कराया, युद्धक्षेत्र में धकेल दिया; परिवार ने केंद्र से मांगी मदद
मोगा (पंजाब), 16 सितंबर 2025: पंजाब के मोगा जिले के चक कनियन कलां गांव के 25 वर्षीय बूटा सिंह को छात्र वीजा पर रूस भेजे जाने के बाद रूसी सेना में जबरन भर्ती कर लिया गया है। परिवार का दावा है कि एजेंटों के धोखे से उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेल दिया गया, जहां वे बिना किसी सैन्य प्रशिक्षण के फ्रंटलाइन पर लड़ने को मजबूर हैं। परिवार ने भारतीय सरकार से तत्काल हस्तक्षेप कर बूटा को सुरक्षित वापस लाने की अपील की है।परिवार के अनुसार, बूटा सिंह पिछले साल 24 अक्टूबर को दिल्ली के एक एजेंट के माध्यम से छात्र वीजा पर मॉस्को गए थे। एजेंट ने 3.5 लाख रुपये लेकर उन्हें नौकरी का लालच दिया था, लेकिन पहुंचने के बाद उन्हें मॉस्को में मजदूरी करनी पड़ी। अगस्त 2024 में रूसी अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और सेना में भर्ती कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में बूटा सिंह ने बताया कि वह पंजाब और हरियाणा के करीब 14 अन्य युवकों के साथ सेना के कैंप में कैद हैं। उन्होंने कहा, "हम छात्र वीजा पर आए थे, लेकिन बिना ट्रेनिंग के हमें युद्ध में धकेल दिया जा रहा है। हमारी अपील है कि मोदी सरकार हमें निकाल ले।" वीडियो में उन्होंने यह भी दावा किया कि 5-6 युवक फ्रंटलाइन पर भेजे जाने के बाद लापता हो चुके हैं।
बूटा की बहन करमजीत कौर ने बताया कि 12 सितंबर को व्हाट्सएप पर आखिरी वॉयस मैसेज आया था, उसके बाद से कोई संपर्क नहीं है। परिवार ने स्थानीय विधायक डा. दविंदरजीत सिंह लड्डी धोसे से मिलने की कोशिश की, लेकिन वे अनुपस्थित थे। विधायक ने बाद में आश्वासन दिया कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री से बात करेंगे। परिवार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर बूटा को बचाने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, "बूटा हमारा इकलौता सहारा है। हमें पता चला है कि 15 अन्य पंजाबी युवकों को भी जबरन भर्ती किया गया है, जिनमें से 4-5 की मौत हो चुकी है।"
यह मामला पंजाब से रूस जाने वाले युवकों के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। हाल के महीनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां युवाओं को नौकरी या पढ़ाई के नाम पर रूस भेजा गया और फिर रूसी सेना में जबरन शामिल कर लिया गया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने रूसी अधिकारियों से बात की है और भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में शामिल होने से सख्ती से दूर रहने की चेतावनी दी है। MEA प्रवक्ता रंधीर जायस्वाल ने कहा, "हम भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह जानलेवा है।"पंजाब कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने सदन में यह मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि 126 भारतीय युवाओं को रूसी सेना में भर्ती किया गया है, जिनमें से 15 लापता हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। परगट सिंह ने कहा, "यह मानव तस्करी का बड़ा रैकेट है, जिसमें एजेंट छात्र वीजा का दुरुपयोग कर रहे हैं। सरकार को तत्काल कूटनीतिक हस्तक्षेप करना चाहिए।"सीबीआई की जांच में भी सामने आया है कि ट्रैवल एजेंट अज्ञात निजी विश्वविद्यालयों में एडमिशन और वीजा एक्सटेंशन के बहाने युवकों को रूस भेज रहे हैं, जहां उन्हें युद्धक्षेत्र में तैनात कर दिया जाता है। MEA के अनुसार, 127 भारतीयों में से 97 को सेना से निकाल दिया गया है, लेकिन 12 की मौत हो चुकी है और 13 अभी भी फंसे हैं। पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है, जहां 29 मामले दर्ज हैं।
परिवारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अपील की है कि इन युवकों को सुरक्षित वापस लाया जाए। यह घटना रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल से अधिक चलने के बीच भारतीय युवाओं के लिए विदेश जाने के खतरों को उजागर कर रही है।